Thursday, 3 July 2025

दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला: पुराने वाहन अब पेट्रोल–डीज़ल नहीं भरवा सकते



1. नया नियम क्या है?


1 जुलाई 2025 से दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने यह निर्णय लिया है कि:


डीज़ल वाहन जो 10 साल से अधिक पुराने हैं, और


पेट्रोल वाहन जो 15 साल से अधिक पुराने हैं, एक प्रकार से “End‑of‑Life Vehicles (ELVs)” माने जाएंगे और पेट्रोल–डीज़ल फिलिंग पर रोक रहेगी



2. कानूनी आधार


यह निर्णय National Green Tribunal (NGT) के 2014–15 के आदेशों और सुप्रीम कोर्ट (2018) के अनुमोदन पर आधारित है  ।


CAQM ने इसे 1 जुलाई से अमली तौर पर लागू करने के निर्देश दिए  ।



3. फिलिंग रोक और जुर्माना


459 से अधिक पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगाकर वाहन की उम्र जांची जाएगी  ।


नियम तोड़ने पर वाहन का जादू-पुर्जा जब्त और ₹10,000 (4-पहिया)/₹5,000 (2-पहिया) जुर्माना संभव है  ।


SOP में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि पेट्रोल पंपों को हर बार “इंकार” दर्ज करना होगा और साप्ताहिक रिपोर्ट भेजनी होगी  ।



4. परिसंचालन की प्रक्रिया


दिल्ली में 350–400 से अधिक पंपों में ट्रैफ़िक पुलिस/ट्रांसपोर्ट टीम/एमसीडी कर्मचारी तैनात होंगे  ।


SOP में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि CNG वाहनों पर यह नियम लागू नहीं होगा  


5. क्या यह प्रभावी होगा?


विशेषज्ञों ने आलोचना की है कि यह नियम केवल उम्र पर आधारित है, न कि प्रदूषण स्तर पर 


नीति के समर्थक कहते हैं कि यह दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनज़र मजबूरन उठाया गया कदम है 


पेट्रोल पंप संचालकों ने यह कदम हाईकोर्ट में चुनौती दी है, दावा कर रहे हैं कि उन्हें ‘MV Act की धारा 192’ के तहत की जाने वाली कार्रवाई में शामिल नहीं किया जा सकता  



6. वैकल्पिक उपाय


विशेषज्ञों की राय है कि:


वास्तविक प्रदूषण स्तर के आधार पर वाहनों को जांच कर लक्षित किया जाए


नवीनीकरण या इमिशन टेस्टिंग जैसे पर्यावरण-विरोधी उपाय अपनाए जाएं, सिर्फ उम्र पर निर्भर न रहकर  


✨ निष्कर्ष


मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक सख्त कदम उठाया है—10 साल से अधिक पुराने डीज़ल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा। यह कार्रवाई एनजीटी/सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना और राजधानी की वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कार्यवाही का हिस्सा है। हालांकि, इसका अमल और वैधता पेट्रोल पंप मालिकों व न्यायालय की भी चुनौती बनाकर उभर रही है। समय ही बताएगा कि क्या यह नीति कारगर सिद्ध होगी या नीतिगत सुधार की मांग और तेज करेगी


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