Saturday, 13 January 2024

अयोध्या में अधूरे राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा: विवाद और चिंताएं

अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से विपत्ति की आशंका? शंकराचार्य ने अयोध्या जाने से किया इनकार

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना है। यह हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना ​​है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने से विपत्ति आएगी।

इन लोगों का तर्क है कि प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यह किसी भी मंदिर के निर्माण का अंतिम चरण है। इस अनुष्ठान में, मंदिर के देवता या देवी की मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया जाता है। इस अनुष्ठान को विधि-विधान से करने का विधान है।

अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने से इन लोगों का मानना ​​है कि अनुष्ठान अधूरा रह जाएगा। इससे देवता या देवी नाराज हो सकते हैं। इससे असुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है।

कुछ लोगों का यह भी मानना ​​है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के लिए राम मंदिर के निर्माण में जल्दबाजी कर रहे हैं। वे मानते हैं कि मोदी चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण उनके कार्यकाल में पूरा हो जाए। इससे उन्हें हिंदू वोट बैंक में अपनी पकड मजबूत करने में मदद मिलेगी।

ये लोग मानते हैं कि मोदी की जल्दबाजी से अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने की संभावना बढ़ गई है। इससे विपत्ति आने की आशंका है।

क्या किसी अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई है?

हां, कुछ उदाहरण हैं। उदाहरण के लिए, 18वीं शताब्दी में, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था। मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले, मंदिर के पुजारियों ने प्राण प्रतिष्ठा करने का फैसला किया। इस निर्णय से कुछ लोगों ने विरोध किया, लेकिन पुजारियों ने उन्हें मना दिया।

इसी तरह, 19वीं शताब्दी में, कर्नाटक के मैसूर जिले में एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था। मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले, मंदिर के देवता की मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दिया गया था। हालांकि, मंदिर का शेष निर्माण अभी भी चल रहा था।

गुरु शंकराचार्य ने क्यों अयोध्या जाने से मना कर दिया?

चारों शंकराचार्यों ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन किया है। हालांकि, वे अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के खिलाफ हैं।

गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या जाने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि इससे विपत्ति आने की आशंका है।

निष्कर्ष

अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने से विपत्ति आएगी या नहीं, यह एक धार्मिक विषय है। इस विषय पर कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसलिए, इस पर कोई निश्चित जवाब नहीं दिया जा सकता है।

हालांकि, धार्मिक दृष्टिकोण से, कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं।

  • प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इसे विधि-विधान से करने का विधान है।
  • अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने से अनुष्ठान अधूरा रह जाएगा। इससे देवता या देवी नाराज हो सकते हैं।
  • असुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है।

इन बातों को ध्यान में रखते हुए, यह कहा जा सकता है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से विपत्ति आने की संभावना है। हालांकि, यह केवल एक संभावना है। यह निश्चित नहीं है कि विपत्ति आएगी।

अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के विरोध में गुरु शंकराचार्य का निर्णय भी समझा जा सकता है। वे एक धार्मिक व्यक्ति हैं और वे धार्मिक अनुष्ठानों के महत्व को समझते हैं। वे चाहते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा विधि-विधान से की जाए।


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